दाद, खाज-खुजली से निजात दिलाने वाली दवाइयां हुईं बेअसर
सुमेधा पुराणिक चौरसिया, इंदौर।एच1एन1 और डेंगू जैसे हवा में घूमने वाले वायरस के साथ ही स्किन पर भी फंगस के रूप में खतरनाक वायरस आक्रमण कर रहे हैं। यह संक्रमण व्यक्ति को सालों तक बीमार बनाकर रख रहा है और मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
हालात ये हैं कि मामूली समझी जाने वाली बीमारी दाद-खाज-खुजली पर कई दवाइयों ने असर करना बंद कर दिया है। डॉक्टरों परेशान हैं कि आखिर कौन सी दवा लिखेें।
इन दिनों हर घर में कोई न कोई व्यक्ति चर्म रोग से पीड़ित है। इस फंगस इन्फेक्शन की तीव्रता इतनी बढ़ चुकी है डॉक्टरों के पास पहुंचने वालों में कई मरीज चार-पांच साल से इस समस्या से परेशान हैं। डॉक्टरी भाषा में इसे टिनिया क्रूरिस, टिनिया कारपोरिस और टिनिया फेसिस कहा जाता है।
डॉक्टरों के पास 60 फीसदी मरीज इसी इन्फेक्शन से परेशान होकर पहुंच रहे हैं। यह इन्फेक्शन सालों से लोगों को चपेट में ले रहा है, लेकिन अब खराब पहलू यह है कि दस-पंद्रह दिन दवा लेने के बाद भी कोई फायदा नहीं हो रहा है।
विशेषज्ञ डॉक्टरों के मुताबिक चर्म रोग में दी जाने वाली ग्रेसिओफ्यूलविन और फ्लूकोनेजोल दवाइयों का असर होना कम हो गया है। टर्मिनाफिना अभी थोड़ा असर कर रही है, लेकिन डॉक्टरों का दावा है कि एक साल में यह भी काम करना बंद कर देगी। फिलहाल इन दवाइयों के विकल्प भी बाजार में नहीं हैं जो फंगस को स्थायी तौर पर ठीक कर दें।
मिलती है तात्कालिक राहत
डॉक्टरों के मुताबिक दवा की दुकानों पर मिलने वाली स्टेरॉइड क्रीम ने परेशानी बढ़ा दी है। दरअसल फंगस इन्फेक्शन की शुरुआत होने पर मरीज अकसर बाजार से क्रीम लाकर लगाना शुरू कर देते हैं। इससे उस समय तो राहत मिलती है लेकिन यह फिर पनप जाता है। स्टेरॉइड का स्किन पर ऐसा असर होता है कि डॉक्टर द्वारा लिखी गई दूसरी दवाइयां बेअसर होने लगती हैं। इस समय ज्यादातर मरीज यही क्रीम लगाने की बात डॉक्टरों से कह रहे हैं।
बहने लगता है खून
ज्यादातर लोगों को जांघ, पेट, गर्दन, सीने पर होने वाला यह इन्फेक्शन पसीने से पनपता है। छोटे से गोले से यह शुरू होकर कुछ ही दिनों में बड़े हिस्से में फैल जाता है। इन्फेक्शन वाली जगह पर मरीज को लगातार खुजली होती है। ज्यादा बढ़ने पर मरीज की दिनचर्या अस्तव्यस्त होने के साथ चिड़चिड़ाहट से भरी हो जाती है। खुजली के दौरान फंगस वाले हिस्से से खून बहने लगता है।
गांव-गांव से आ रहे हैं मरीज
चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ.अनिल दशोरे बताते हैं इस समय गांंव-गांव से मरीज आ रहे हैं। दवा का असर कम होने से वर्षों तक बीमारी ठीक नहीं हो रही है। फिलहाल कोई विकल्प नहीं है। मरीज को खुद ध्यान रखना पड़ेगा कि बीमारी की शुरुआत में क्रीम लगाने के बजाय सीधे डॉक्टर से दवा लें।
70 प्रकार की क्रीम ने बढ़ाई बीमारी
एमवाय अस्पताल के चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ.एचके नारंग का कहना है पहले सिर्फ बरसात के मौसम में मरीज ज्यादा आते थे, लेकिन अब पूरे साल भरमार रहती है। दवा दुकानों पर मिलने वाली 70 प्रकार की क्रीम ने दवाइयां का असर खत्म कर दिया है। मरीज 15-20 ट्यूब लगाने के बाद डॉक्टर के पास पहुंचता है, तब तक दवा का प्रभाव होने की क्षमता खत्म हो चुकी होती है। इसके लिए बिना प्रिस्क्रिप्शन क्रीम की बिक्री पर प्रतिबंध लगना चाहिए।
डॉक्टरों के सुझाव
-चर्म रोग होने पर बाजार से क्रीम खरीदकर न लगाएं।
-इन्फेक्शन की शुरुआत में ही डॉक्टर को दिखाएं।
-नाइट्रावेट की तरह बिना प्रिस्क्रिब्शन क्रीम की बिक्री पर प्रशासन प्रतिबंध लगाए।
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