पूरे एशिया में पांव पसार सकता है जीका

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मनीला। पूरे एशिया पर जीका वायरस का खतरा मंडरा रहा है। विश्व स्वास्थ संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने आगाह किया है कि इस पूरे क्षेत्र के जीका की चपेट में आने की अत्यधिक आशंका है। यह लाइलाज बीमारी अमेरिकी महाद्वीप समेत एशिया के कई देशों में पहले ही अपने पांव पसार चुकी है।

बीबीसी ने डब्ल्यूएचओ की निदेशक मार्गरेट चान के हवाले से कहा कि विशेषज्ञ इस वायरस पर अंकुश लगाने का तरीका खोज रहे हैं। हालांकि उन्हें कई जटिल सवालों का जवाब अभी तक नहीं मिल पाया है।

वह फिलीपींस की राजधानी मनीला में मंगलवार को डब्ल्यूएचओ की सालाना क्षेत्रीय बैठक को संबोधित कर रही थीं। सिंगापुर में जीका के अब तक सैकड़ों मामले सामने चुके हैं। थाइलैंड में जीका से संबंधित माइक्रोकेफेली के दो मामलों की पुष्टि हुई है।

इसके लक्षण

जीका वायरस की चपेट में आने पर बुखार, जोड़ों का दर्द, शरीर पर लाल चकत्ते, थकान, सिर दर्द, आंखों का लाल होना लक्षण हैं।

माइक्रोकेफेली का खतरा

जीका का उतना गंभीर असर नहीं पड़ता है लेकिन गर्भवती महिलाओं के लिए यह बेहद खतरनाक है। शिशु के माइक्रोकेफेली की चपेट में आने की आशंका रहती है।

इससे प्रभावित शिशु का जन्म आकार में छोटे, अविकसित दिमाग के साथ होता है। हाल में पता चला है कि आंसू या पसीने के जरिये अथवा यौन संबध बनाने पर भी इसका संक्रमण हो सकता है।

70 देशों में पहुंचा

डब्ल्यूएचओ के अनुसार, दुनिया के 70 देशों में मच्छर जनित वायरस जीका फैल चुका है। इनमें ब्राजील, पैरागुए, कोलंबिया, वेनेजुएला, फ्रेंच गयाना, सूरीनाम, मेक्सिको, हैती, प्युएर्तो रीको, अर्जेंटीना, चिली, बोलिविया, पेरू, इक्वाडोर, कोस्टा रिका, अल सल्वसडोर, ग्वातेमाला, होंडूरास, पनामा जैसे देश शामिल हैं।

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