स्किन कैंसर के रोगियों के लिए खुशखबरी, हल्दी का प्रयोग करके पा सकते हैं निजात

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    वैज्ञानिकों ने लंच बॉक्स के आकार का उपकरण किया विकसित, कैंसर रोगियों को मिलेगा फायदा

    वॉशिंगटन: भारतीय मसालों का एक अहम हिस्सा हल्दी का सत आसानी से घुल कर ट्यूमर तक पहुंच जाता है और कैंसर कोशिकाओं को खत्म करता है. हल्दी का चिकित्सा उपचार में काफी महत्व है और बिना पके मांस में रोगाणुओं को खत्म करने में कारगर है. हाल में वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि हल्दी से अलग किए जाने वाले और प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले पदार्थ करक्यूमिन कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने का एक प्रभावी एजेंट है. यूनिवर्सिटी ऑफ इलीनोइस में एसोसिएट प्रोफेसर दीपांजन पान ने बताया कि अब तक करक्यूमिन का पूरा फायदा नहीं उठाया जा सका था क्योंकि यह पानी में पूरी तरह नहीं घुल पाता.

    स्किन कैंसर के रोगियों के लिए खुशखबरी, हल्दी का प्रयोग करके पा सकते हैं निजात

    पान के साथ काम करने वाले पोस्ट-डॉक्टोरल शोधकर्ता संतोष मिश्रा ने कहा, ‘‘ दवा देने के लिए यह जरूरी है कि वह पानी में घुलनशील हो, अन्यथा यह खून के साथ मिलेगी नहीं. ’’ अमेरिका में यूटा यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं समेत अन्य शोधकर्ताओं ने प्लेटिनम की मदद से ऐसी प्रक्रिया तैयार की है जो करक्यूमिन की घुलनशीलता को संभव बनाती है.

    विटामिन थेरेपी कम कर सकती है त्वचा कैंसर का खतरा
    वैज्ञानिकों के अनुसार विटामिन बी3 के रूप में इस्तेमाल की जाने वाली थेरेपी संभवत: मेलेनोमा नामक घातक त्वचा कैंसर के खतरे को कम कर सकती है. इन वैज्ञानिकों में भारतीय मूल का एक वैज्ञानिक भी शामिल है. ऑस्ट्रेलिया के सिडनी विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया कि निकोटिनामाइड, डीएनए में हुई क्षति, सूजन और पराबैंगनी विकिरण की वजह से कम हो रही रोग- प्रतिरोधक क्षमता घटाने और उसे उलटने में मदद कर सकता है.

    शोधकर्ताओं ने कहा कि डॉक्टर की सलाह पर हर दिन एक ग्राम निकोटिनामाइड लेने पर इसका प्रति माह खर्च 10 अमेरिकी डॉलर आता है. उन्होंने कहा कि मेलेनोमा की रोकथाम के लिए इसकी क्षमता तथा सुरक्षा को निर्धारित करने के लिए यादृच्छिक प्लेसबो नियंत्रित परीक्षण अब जरूरी है.

    पराबैंगनी विकिरण (यूवीआर) मेलेनोसाइट्स में डीएनए को क्षति पहुंचाता है. शोधकर्ताओं ने बताया कि निकोटीनमाइड (विटामिन बी 3) डीएनए की क्षति को ठीक करता है, यूवीआर द्वारा जो सूजन होती है उसे नियंत्रित करता है और यूवी किरणों से रोग-प्रतिरोधक क्षमता में आने वाली गिरावट को कम करता है.

    source : zeenews

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