15 साल पहले सिगरेट छोड़ चुके लोगों को भी हो सकता है कैंसर, 90% लोग अंतिम स्टेज में जाते हैं अस्पताल

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    जयपुर.

    फेफड़े (लंग) का कैंसर विश्व की बिग किलर डिजीज में से एक हो गई है। इसका सबसे बड़ा कारण स्मोकिंग और ग्रामीण इलाकों में चूल्हे का धुंआ है। पहले बुजुर्गों को होने वाली यह जानलेवा बीमारी अब युवाओं व महिलाओं में भी बड़ी तादात में देखी जा रही है।

    इसके पीछे युवाओं में बढ़ता स्मोकिंग का क्रेज है। खास बात यह है कि लंबे समय तक स्मोकिंग करने के बाद छोडऩे वालों में भी इसका खतरा कम नहीं होता। लंग कैंसर पर जयपुर के एसएमएस अस्पताल के रेस्पाइरेटरी डिजीज इंस्टीट्यूट और मेडिकल ऑन्कोलॉजी डिपार्टमेंट की ओर से आयोजित नेशनल कांफ्रेंस में यह जानकारी दी गई है।

    15 साल पहले सिगरेट छोड़ चुके लोगों में भी ये खतरा

    बतौर एक्सपर्ट यहां दिल्ली के मैक्स हॉस्पीटल के आंकोलॉजी सर्विसेज डायरेक्टर डॉ. आर. रंगा राव ने बताया कि अगर आप सालों पहले धूम्रपान करना छोड़ चुके हैं और यह सोच रहे हैं कि इससे आपको अब कोई खतरा नहीं है तो यह गलत है। अनेक केस ऐसे सामने आए हैं कि 15 साल पहले धूम्रपान छोड़ चुके लोगों को भी लंग कैंसर मिला है।

    यूएस प्रिवेंटिव सर्विसेज टास्क फोर्स ने कैंसर की जांच का जो मौजूदा स्तर तय किया है, उसके अनुसार 55 से 80 साल की उम्र के ऐसे व्यक्तियों को सीटी स्कैन कराना चाहिए, जिन्होंने लगातार 30 साल तक सिगरेट का सेवन किया या 15 साल पहले छोड़ चुके हैं। उन्होंने बताया कि जिन्होंने 15 साल पहले धूम्रपान छोड़ दिया है, उन पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है, क्योंकि उनमें लंग कैंसर का खतरा अधिक होता है।

    आपको बता दें कि लंग कैंसर व फेफड़ों से संबंधित बीमारियों के लक्षण एक जैसे होते हैं, इसलिए पहले श्वसन रोग एक्सपर्ट को दिखा कर सीटी स्केन, ब्रोंकोस्कॉपी जांच, एक्स-रे आदि जांच कराके परीक्षण कराना चाहिए। ताकि कैंसर का प्रारंभिक स्थिति में ही पता चल सके।

    वहीं, कैंसर रोग एक्सपर्ट डॉ. ललितमोहन शर्मा ने बताया कि जापान व कोरिया में 40 फीसदी और अमेरिका व यूरोप में लंग कैंसर के अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों में 20 प्रतिशत ऐसे होते हैं जिन्हें ऑपरेशन से बचाया जा सकता है। भारत में अंतिम स्थिति में इस रोग के मरीज डॉक्टर के पास पहुंचते हैं, इसलिए मात्र 5 प्रतिशत ही ऑपरेशन से बच पाते हैं।

    पल्मोनरी डिजीज एक्सपर्ट डॉ. शुभ्रांशु ने कहा कि देश में 90 फीसदी मरीज कैंसर की थर्ड स्टेज में डॉक्टर के पास आते हैं। यदि लगातार खांसी, सांस फूलने, बलगम, कफ में खून जैसे लक्षण नजर आएं तो तुरंत जांच कराके लंग कैंसर से बचा जा सकता है।

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