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स्तन कैंसर: अक्टूबर महीना को विश्वभर में स्तन कैंसर जागरूकता महीने के रूप में मनाया जा रहा है. इससे इस बीमारी के बारे में जागरूकता, शुरुआती पहचान और उपचार, के साथ-साथ, उपशामक देखभाल पर ध्यान और समर्थन बढ़ाने में मदद करता है. ऐसे जागरूकता मास का पालन करने की आवश्यकता क्यों है?
स्तन कैंसर महिलाओं में सबसे अधिक होने वाला कैंसर है. भारत में यह शहरों की महिलाओं में सबसे ज्यादा होने वाला और ग्रामीण छेत्रों में दूसरा सबसे आम कैंसर है. भारत के शहरों की महिलाओं में कुल कैंसरों में 25% से 32% स्तन कैंसर के कारण है. भारत में पिछले पांच दशकों में प्रति 100,000 महिलाओं में स्तन कैंसर के मामलों की संख्या में 65% की वृद्धि हुई है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार जीवन प्रत्याशा में वृद्धि, शहरीकरण में वृद्धि और पश्चिमी जीवन शैली को अपनाने के कारण, यह संख्या लगातार बढ़ रही है.
जागरूकता की कमी और उचीत समय पर उपचार के आभाव के कारण, यह भारतीय महिलाओं के लिए घातक साबित हो रहा है. भारत में, हर 4 मिनट में एक महिला को स्तन कैंसर का पता चलता है और हर 13 मिनट में एक महिला की स्तन कैंसर के कारन मृत्यु होती है. उन मौतों को रोका जा सकता था.
उपचार के बाद पांच साल तक जीवित रहने का प्रतिशत अमेरिका में 89% है, जब की भारत में यह केवल 60% है. भारत और पश्चिम के बीच मृत्यु दर में इतनी असमानता क्यों है? यह उच्च मृत्यु दर, जागरूकता की कमी , स्क्रीनिंग और निदान में देरी के कारण हो रहा है.
वर्तमान में स्तन कैंसर के कारणों के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं है . इसलिए, रोग का जल्द पता लगाकर उसका ईलाज करना, स्तन कैंसर नियंत्रण की आधारशिला बनी हुई है. यह पाया गया है कि एक महिला में स्तन कैंसर की घटना आनुवंशिकता सहित कई कारकों पर निर्भर करती है. कुछ रिस्क फेकटर निम्नलिखित हैं:
- देर से शादी
- स्तनपान नहीं करना
- कार्सिनोजेन से संपर्क
- मोटापा
उनमें से सभी महिला के नियंत्रण में नहीं हैं. फिर भी, महिलाओं द्वारा दो सरल क्रियाएं उन्हें ब्रैस्ट कैंसर के गंभीर परिणामों को रोकने में मदद कर सकती हैं.
- नियमित स्तन स्व परीक्षा:
महिलाओं को इस बात का स्पष्ट ज्ञान होना चाहिए कि आपके स्तन सामान्य रूप से कैसे दिखते हैं. अगर स्तन में कोई बदलाव नजर आए तो उन्हें तुरंत डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए.
- उचित समय पर डॉक्टर से परमर्श
यदि महिलाएं अपने स्तनों में किसी प्रकार बदलाव देखती हैं – गांठ, त्वचा का रंग बदलना, छिद्र जैसा होना, निप्पल अन्दर के तरफ़ मुड़ जाते हैं या आपके निप्पल से किसि प्रकर क रिसाव निकलता है तो फिर स्तन रोग विशेषज्ञ से आती सिघ्र परमर्श करे.
यह जरूरी नहीं है कि यह स्तन कैंसर ही हो. स्तन के कई सौम्य रोग भी होते हैं. जब किसी को स्तन कैंसर का पता चलता है, तो वे अपने को हताश, शक्तिहीन, अलग-थलग महसूस कर लग्त है | लेकिन स्तन कैंसर लाइलाज बीमारी नहीं है. अगर इसका जल्द पता चल जाए. आज चिकित्सा विज्ञान में नवीनतम प्रगतियों के कारण स्तन कैंसर के इलाज संभव है.
स्तन कैंसर भारतीय महिलाओं में पश्चिमी देशों के तुलना में कम उम्र में होता है. इस घटना के सटीक कारणों ज्ञात नहीं हैं. लेकिन यह स्पष्ट है कि इसका तात्पर्य यह है कि भारत में महिलाओं को पहले स्क्रीनिंग और उपचार की तलाश करनी होगी.
दस में से नौ महिलाएं इलाज के बाद, स्तन कैंसर से बच सकती हैं- अगर इसका जल्दी पता लग जाए और इलाज समय से सुरु कर दिया जाए. इसके लिए यह जरूरी है कि महिलाएं अपने शरीर को सुनें और यदि वह स्तन में असामान्यता का संकेत दे रहा है, तो बिना समय गवाऐं, अपने स्तन कैंसर विशेषज्ञ से संपर्क करें.
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